उद्धव ने समर्थकों को दिया मंत्र कहा- फर्जी हिंदुत्व कथा को रोकें, जय श्रीराम नहीं जय शिवाजी कहें
मुंबई। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को भाजपा का हिंदुत्व फूटी आंख नहीं सुहा रहा है। आए दिन वे भारत विरोधी कांटे लगाने में ज्यादा समय देते नजर आते हें। पीढियों से जयश्री राम के नारे लगाने वाले ठाकरे को अब यह नाम भी भाजपा का लगने लगा है। इसलिए उन्होंने अपने समर्थकों से साफ कह दिया है कि अब जयश्री राम नहीं बल्कि जय शिवाजी बोलना होगा। यूबीटी प्रमुख मुलुंड के कालिदास सभागार में बोल रहे थे।
उन्होंने शिविर में बोलते हुए भाजपा और आरएसएस की आलोचना करते हुए कहा कि वे ‘फर्जी हिंदुत्व कथा’ को बढ़ावा दे रहे हैं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भागीदारी की कमी को उजागर कर रहे हैं। उन्होंने भाजपा नेताओं की उनके दोहरे मानदंडों के लिए भी निंदा की। ठाकरे ने कहा, ‘अगर कोई जय श्री राम कहता है, तो उसे जय शिवाजी और जय भवानी कहे बिना जाने न दें। भाजपा ने हमारे समाज में जहर घोल दिया है। मैं भाजपा को कड़ी चुनौती देने जा रहा हूं, क्योंकि उन्होंने हमारे समाज के साथ जो किया है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है।’ उन्होंने कहा कि अनुराग ठाकुर और जय शाह समेत भाजपा नेताओं को दुबई में पाकिस्तानी क्रिकेटरों के साथ देखा गया, जो उनके पिछले रुख के विपरीत है कि जब तक पाकिस्तान अपना व्यवहार नहीं बदलता, तब तक उसके साथ कोई क्रिकेट संबंध नहीं होना चाहिए।
ठाकरे ने कहा कि, जिन नेताओं की स्वतंत्रता संग्राम में कोई भूमिका नहीं थी, वे अब देश की सत्ता पर काबिज हैं। जिन्होंने कभी स्वतंत्रता के लिए लड़ाई नहीं लड़ी, वे कभी भी इसकी असली कीमत नहीं समझ सकते। आरएसएस पर कटाक्ष करते हुए ठाकरे ने कहा, आरएसएस के सदस्य छतों पर लाठी मार्च करते हैं। फिर हमें हिंदुत्व के बारे में सिखाने की कोशिश करते हैं। हमें उनके पाठों की ज़रूरत नहीं है। भारत बनाम न्यूजीलैंड चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, हमें सिर्फ स्कोरबोर्ड पर ध्यान नहीं देना चाहिए बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे प्रतिद्वंद्वी पूरी तरह से बाहर हो जाएं। हम उन्हें नहीं छोड़ेंगे। महायुति द्वारा लगाए गए आरोपों पर कि वह प्रयागराज में कुंभ मेले में शामिल नहीं हुए, ठाकरे ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, हम मोहन भागवत का अनुसरण करते हैं। अगर वह कुंभ मेले में नहीं गए, तो मैं क्यों जाऊं? वह खुद नहीं जाते, लेकिन दूसरों को जाने के लिए कहते हैं।
