एक बार फिर मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा उजागर

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गेहूँ निर्यात पर रोक लगाकर सरकार ने किसानों की पीठ में छुरा घोपा

खबर लगतेे ही मंडियों में गेहूं के भाव ₹200 क्विंटल तक टूटे

इंदौर एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा उजागर हो गया है । आज जब मंडियों में किसान गेहूं बेचने ला रहा है ,तब केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगा दी है । जिसके चलते गेहूं के भाव एकदम धरातल की ओर जाने लगे हैं । एक ही दिन में ₹200 प्रति क्विंटल के हिसाब से गेहूं के भाव टूट गए हैं
किसान संगठनों ने गेहूं निर्यात पर लगाई पाबंदी का कड़ा विरोध किया है तथा कहा है कि सरकार पूंजीपतियों के हाथ का खिलौना बनी हुई है और किसान और मजदूरों को मार रही है । संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े संगठन किसान संघर्ष समिति और किसान मजदूर सेना ने आज जारी बयान में बताया कि केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगाकर किसानों की कमर तोड़ने का काम किया है ।अब जब गेहूं की फसल मंडियों में बेचने के लिए किसान ला रहा है। तभी निर्यात नीति में बदलाव करके सस्ते में किसानों का गेहूं खरीदने के लिए व्यापारियों को खुली छूट दे दी गई है
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता रामस्वरूप मंत्री ,किसान संघर्ष समिति के प्रदेश सचिव दिनेश सिंह कुशवाह, किसान मजदूर सेना मध्य प्रदेश के अध्यक्ष बबलू जाधव और सचिव शेलेन्द पटेल ने कहा कि बड़े पूंजीपतियों के एजेंट्स मंडियों में गेहूं की खरीदी कर रहे हैं । आज जैसे ही निर्यात पर पाबंदी की खबर लगी , वैसे ही मंडी में गेहूं के भाव 200 से ₹300 प्रति क्विंटल कम हो गए हैं वैसे भी मध्य प्रदेश की मंडियों में एमएसपी की कीमत से नीचे गेहूं बिक रहे थे और सरकार की इस पालिसी से गेहूं के भाव धरातल में चले गए हैं
किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने निर्यात पर पाबंदी नहीं हटाई तो संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी संगठन एकजुट होकर आंदोलन को बाध्य होंगे । नेताओं ने कहा है कि सरकार घोषणाएं तो किसान हितेषी होने की करती है, लेकिन हर बार फैसले किसान विरोधी ही लेती है । गेहूं निर्यात पर पाबंदी भी ऐसा ही किसान विरोधी फैसला है। जिससे किसानों में रोष है

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