काशी में नरमुंड पहना, मुंह से आग का गोला निकाला:मां काली का रौद्र रूप धारण किया
वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर शिवभक्त चिताओं की राख से भस्म की होली खेल रहे हैं। डीजे, ढोल और डमरू की ताल पर शिवभक्त थिरक रहे हैं। खेले मसाने में होरी…गाने पर मां काली और शिव बने कलाकार तांडव कर रहे हैं।
एक तरफ चिताओं से उठता धुआं है, दूसरी तरफ राख की होली। यानी खुशी और गम साथ-साथ। आम इंसान जो चिता की राख से दूर भागता है, वो भी एक चुटकी राख के लिए घंटों इंतजार कर रहा है।
भीड़ इतनी कि पैर रखने तक की भी जगह नहीं है। कीनाराम आश्रम से शिव बारात निकल गई है। शिवभक्त तांडव करते हुए 2 किमी दूर हरिश्चंद्र घाट जा रहे हैं। यहां जलती चिताओं के बीच चिता भस्म की होली खेलेंगे।
इस होली को देखने के लिए 20 देशों से 5 लाख टूरिस्ट पहुंचे हैं। विदेशी युवक ने कहा- मैं इंजॉय कर रहा हूं। ऐसा मैंने पहले कभी नहीं देखा था। यह बहुत ही सुंदर है। इस बार कमेटी ने महिलाओं को चिता भस्म की होली में शामिल होने की इजाजत नहीं दी है।

