गर्मी बढ़ने से ओडिशा के जंगलों में 7 दिन में हुई 2,586 आग की घटनाएं

भुवनेश्वर। गर्मी बढ़ने के साथ ही ओडिशा के जंगलों में आग लगने की बढ़ती घटनाओं ने चिंता पैदा कर दी है। भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) के आंकड़ों के मुताबिक पिछले सात दिनों में राज्य के कई जंगलों में 2,586 आग लगने की घटनाएं हुई हैं। एफएसआई के मुताबिक 2 मार्च से 9 मार्च के बीच ओडिशा के कई जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आई है। इन जंगलों में मालकानगिरी, नधरंगपुर, कोरापुट, नुआपड़ा, कालाहांडी, बरगढ़, बलांगीर। रायगढ़ा, कंधमाल, सुंदरगढ़, बौद्ध, सुधर्णपुर, झारसुगुड़ा, संबलपुर, गजपति, गंजाम, देवगढ़, अनूगुल, कटक, नयागढ़, केंदुझर, मयूरभंज, ढेंकानाल और जाजपुर जिले के जंगल शामिल हैं।
लगातार आग की इन घटनाओं से वन अधिकारी भी परेशान है, उनके द्वारा आग बुझाने की कोशिश की जा रही है। नतीजतन राज्य में अब आग लगने वाले स्थानों पर वे जल्दी से नहीं पहुंच पा रहे हैं। यह आग लगातार बढ़ती जा रही है। इस वजह से कई पेड़ों और प्राकृतिक वनस्पतियों के नष्ट होने और पारिस्थितिकी संतुलन को खतरा पैदा हो रहा है।
बता दें 25 फरवरी से 4 मार्च के बीच राज्य के कई जंगलों में 1,172 जगह पर आग लगने की सूचना मिली थी। हालांकि, तब से लेकर अब तक आग लगने की घटना लगातार बढ़ती ही जा रही है। आंकड़ों से पता चला है कि यह संभावना है कि तापमान में बढ़ोतरी और शुष्क मौसम की स्थिति के कारण जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं।
गौरतलब है कि बढ़ते तापमान और शुष्क मौसम ने विस्फोटक स्थितियां पैदा कर दी हैं, 2025 में 1,956 अग्नि बिंदुओं में से 46 फीसदी फरवरी के एक सप्ताह के दौरान घटित हुई हैं। एफएसआई ने फरवरी के बीच तक अकेले कोरापुट सर्कल में 11 बड़ी सक्रिय आग की सूचना दी, जो दक्षिणी ओडिशा के जंगलों में शुरुआती पत्ती गिरने से और बढ़ गई।
करीब 27.97 फीसदी वनों को अत्यधिक आग लगने की आशंका वाले क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है, विशेष रूप से पर्णपाती वन जो 57,066 वर्ग किलोमीटर में फैले हैं। उष्णकटिबंधीय शुष्क वनों और मानव बस्तियों के पैटर्न के संयोजन के कारण कोरापुट क्षेत्र सबसे ज्यादा संवेदनशील बना हुआ है।
