दो जुड़वा बहने और एक बालक बन रहा है इंदौर के दीक्षा उत्सव का साक्षी

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यह तीनों इसी माह के अंत में रतलाम में लेंगे दीक्षा

इंदौर । आचार्य जिनचंद्र सागर सुरीश्वर जी महाराज के निर्देशन में इंदौर में आयोजित दीक्षा उत्सव का दो जुड़वा बहने और एक बालक साक्षी बन रहे है । यह तीनों इसी माह के अंत में रतलाम में दीक्षा लेने वाले हैं
नवकार परिवार के द्वारा आठ दिवसीय दीक्षा उत्सव इंदौर में शुरू किया गया है । इस उत्सव में झाबुआ जिले में रहने वाला 10 वर्षीय बालक सिद्धम जैन दीक्षा ले रहा है । इस दीक्षा समारोह का साक्षी बनने के लिए रतलाम का 10 वर्षीय बालक ईशान कोठारी और रतलाम की ही दो जुड़वा बहने तनिष्का तथा पलक उम्र 14 वर्ष इंदौर आए हुए हैं । यह तीनों बच्चे इंदौर में आयोजित सिद्धम के दीक्षांत समारोह के साक्षी बन रहे हैं । इन तीनों बच्चों का दीक्षा महोत्सव 26 मई से रतलाम में आयोजित किया गया है
रतलाम में दीक्षा लेने वाले ईशान के पिता विशाल और माता पायल हैं विशाल मेडिकल स्टोर के संचालक हैं । उनका एक बेटा और एक बेटी है जिसमें से बेटा दीक्षा ले रहा है और बेटी निर्वाणी अभी 3.5 वर्ष की है । विशाल ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे की स्कूली शिक्षा छुड़वा कर उसे साबरमती के गुरुकुल में धर्म की शिक्षा लेने के लिए भेज दिया था इसके पूर्व विशाल के मामा के बेटे और मौसी के बेटे भी दीक्षा ले चुके हैं । इस तरह उनके परिवार में धर्म की दीक्षा की परंपरा बनी हुई है
इसी प्रकार रतलाम की जुड़वा बहन तनिष्का और पलक दीक्षा के मार्ग पर अग्रसर है । इन दोनों बहनों का जन्म महावीर जन्म कल्याणक के दिन हुआ था । इनके पिता संतोष और माता शोभा चाणोदिया है । इनकी बड़ी बहन दीपाली 5 वर्ष पूर्व ही दीक्षा ले चुकी है । करीब 2 वर्ष पूर्व यह बहन चौमासा करने के लिए रतलाम में आई थी । उस समय यह दोनों जुड़वा बहने अपनी सांसारिक जीवन की बहन महाराज के संपर्क में बहुत ज्यादा रही और तब से ही उनके मन में भी दीक्षा देने का विचार पैदा हो गया । इन बहनों के पिता कटारिया इंडस्ट्रीज में मैनेजर के पद पर काम कर रहे हैं । यह दोनों बहने अब तक महाराज के साथ 20000 किलोमीटर का विहार भी कर चुकी है । इनकी माता शोभा बताती है कि उनके 5 बच्चे हैं जिसमें 4 बेटियां और एक बेटा है । इनमें से तीन बेटियां दीक्षा की राह पर चली गई है पुरानी यादों को ताजा करते हुए शोभा ने बताया कि जब इन जुड़वा बेटियों का जन्म हुआ तब मेरे देवर ने कहा था कि एक बेटी हमें दे दो क्योंकि उनके कोई संतान नहीं थी इसी तरह मेरे भाई ने भी एक बेटी मांगी थी लेकिन हमने नहीं दी । अपनी बेटियों की दीक्षा पर उन्होंने कहा कि बेटी वैसे भी पराया धन होती है । बड़ा होने के बाद हम उसे ससुराल भेजते हैं । हमने अपनी बेटी को धर्म की पताका को फहराने और समाज को जागृत करने के लिए भेजने का फैसला लिया है ।
इंदौर में आयोजित सिद्धम जैन के दीक्षांत समारोह में आज आचार्य जिनचंद्र सागर सुरीश्वर जी महाराज एवं 20 संत गण विहार करते हुए पिपली बाजार के जैन मंदिर पर पहुंचे । वहां पर इन संत गणों की उपाश्रय ट्रस्ट के पारसमल बोहरा और राजकुमार सुराणा के नेतृत्व में जैन समाज जनों के द्वारा भव्य अगवानी की गई । इसके पश्चात अपने प्रवचन में आचार्य श्री ने कहा कि दीक्षा संयम का मार्ग है । यह जिन शासन की नीव है । गुरु के पास चार प्रकार के श्रावक आते हैं । पहले वे जो वंदन करते हैं, दूसरे वे जो सेवा करते हैं, तीसरे वे जो गुरु के जैसा बनना चाहते हैं और चौथे वह जो गुरु के सपनों को पूरा करते हैं जीवन में इन चारों तरह के श्रावक को आत्मकल्याण के पथ पर अग्रसर होना चाहिए
श्री नवकार परिवार के प्रवीण गुरुजी , महेंद्र गुरुजी व सोमिल कोठारी ने बताया कि इस दीक्षा समारोह मे कल मंगलवार को प्रातः 8:00 बजे पूज्य संत मंडल का मंगल प्रवेश वासुपूज्य स्वामी जैन श्वेतांबर श्री संघ आलोक नगर में होगा । वहां पर उपाश्रय और मंदिर का भूमि पूजन होगा ।

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