हर चौथे शख्स को हाइपरटेंशन, बीपी के 23 प्रतिशत मरीजों को पता नहीं कि वे भी हैं शिकार
इंदौर के डॉक्टर की अगुवाई में हुए रिसर्च को ‘यूरोपियन काँग्रेस ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी” में मिला स्थान
आज 17 मई 2022 वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे के मौके पर खास जानकारी
प्रयास डायबिटीज सेंटर, इंदौर के डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. भरत साबू और टीम के रिसर्च को देश-विदेश में मिली सराहना
देश के अलग-अलग राज्यों के 9 बड़े शहरों में हुआ रिसर्च, निकले चौंकाने वाले परिणाम
पूरे देश में स्थिति चिंताजनक, जांच नहीं करवाने के कारण बढ़ रहा खतरा
हाइपरटेंशन एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे इंसान को मौत के मुहाने पर लाकर खड़ा कर देती है और उसे पता भी नहीं चलता। ब्लड प्रेशर की जांच समय पर नहीं करने के कारण बीमारी इतनी बढ़ जाती है कि मरीज की जान बचाना भी मुश्किल हो जाती है। ब्लड प्रेशर की जांच करवाने के प्रति लापरवाही का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जिन्हें डायबिटीज है वो भी नियमित जांच नहीं करवाते। हालात ऐसे हैं कि नियमित रूप से बीपी की दवाई लेने वाले डायबिटिक मरीजों में से 23 प्रतिशत को यह पता ही नहीं है कि उन्हें हाइपरटेंशन है जो उनके हार्ट, ब्रेन, लिवर, किडनी और आंखों को खराब कर रहा है
यह महत्वपूर्ण जानकारी प्रयास डायबिटीज सेंटर, इंदौर के डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. भरत साबू ने अपने एक महत्वपूर्ण सर्वे के परिणामों के आधार पर दी। उन्होंने इंदौर, जबलपुर, गुवाहाटी, हैदराबाद, लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर सहित देश के 9 शहरों में सर्वे करवाया। यह सर्वे ‘इंडिया एपिडेमियोलॉजिकल मेपिंग स्टडी” विषय पर किया गया और खास बात यह है कि इसे ‘यूरोपियन काँग्रेस ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी” में स्थान दिया गया है। इसमें कुछ चौंकाने वाले परिणाम निकले कि डायबिटीज, बीपी के मरीज अपनी जांच करवाने के नाम पर घोर लापरवाही बरत रहे हैं और अंदाजन ही दवाइयां ले रहे हैं। सर्वे का सार यह है कि अगर हम समय पर जांच करवाएं तो कई मरीजों की जान बचाकर व्यक्तिगत, सामाजिक और राष्ट्रीय नुकसान को कम किया जा सकता है
महिलाओं में स्थिति ज्यादा खराब
डॉ. साबू ने बताया कि सर्वे उन मरीजों पर किया गया था जो पहले से डायबिटिक हैं और बीपी की दवाई लेते हैं। सर्वे में पाया गया कि 23 प्रतिशत मरीजों में कभी हाइपरटेंशन की पहचान हो ही नहीं पाई। सर्वे में ऐसे 42 फीसद पुरूष मिले, जबकि महिलाएँ 58 प्रतिशत रहीं। शहरी क्षेत्र में 39 प्रतिशत मरीजों में, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 61 प्रतिशत मरीजों में हाइपरटेंशन की पहचान हुई।इस सर्वे में विभिन्ना शहरों के डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव, डॉ. अनिकेत इनामदार, डॉ. जयप्रकाश साई, डॉ. अजोय तिवारी, डॉ. ध्रुवी हसनानी, डॉ. विपुल चावड़ा, डॉ. एसएस दरिया, डॉ. रूपम चौधरी आदि ने विशेष भूमिका निभाई।
लापरवाही बन रही पूरे देश के लिए खतरा
डॉ. साबू ने अपने रिसर्च के अलावा आईसीएमआर के हाल ही में हुए रिसर्च का हवाला देते हुए यह भी कहा कि देश का हर चौथा शख्स हाइपरटेंशन का शिकार है, क्योंकि समय पर जांच नहीं करवाई जा रही। डायबिटीज के मरीजों में बीपी होना आम बात है, लेकिन नॉन डायबिटिक मरीजों में भी यह अब तेजी से बढ़ रही है। लोगों में इसके प्रति बड़ी लापरवाही है और जब उन्हेें पता चलता है तब तक बीमारी शरीर के कई अंगों को खराब कर चुकी होती है। जाँच के प्रति लापरवाही पूरे देश के लिए बड़ा खतरा बन रही है।
60 प्रतिशत मौतें खराब जीवनशैली के कारण
कुछ हालिया रिसर्च यह भी बताते हैं कि वर्तमान समय में 60 प्रतिशत मौतें नॉनकम्युनिकेबल डिसिज के कारण हो रही हैं। ब्रेन, हार्ट, लीवर, किडनी से जुड़ी बीमारियां इनका बड़ा कारण है और इन सभी में एक समस्या कॉमन रहती है वो है हायपरटेंशन। यह किसी भी अंग को खराब करना शुरू कर देता है और बीमारी को गंभीर बना देता है
वर्ष में दो बार जांच जरूर करवाएं
डॉ. भरत साबू ने बताया कि डायबिटीज होने के बावजूद ब्लड प्रेशर के प्रति लापरवाही बरतने के कारण छोटी समझी जाने वाली बीमारियाँ घातक रूप ले लेती हैं। हमारे सर्वे का उद्देश्य भी यही है कि अगर समय पर जाँच करवाई जाए, बीमारी का पता चल जाए और इलाज शुरू हो जाए तो कुछ ही दिनों में बीमारी को कम भी किया जा सकता है और खत्म भी। जरूरी है कि डायबिटीज के हर मरीज द्वारा हर 6 महीने में बीपी की जांच करवाई जाए। जो लोग डायबिटिक नहीं हैं, उन्हें भी वर्ष में कम से कम एक बार जांच करवाना ही चाहिए, ताकि बीमारी को बढ़ने से रोका जा सके।