इंटरनेट के उपयोग की बढ़ती आदत लोकतंत्र के लिए चुनौती है

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आईटी एक्ट में जोड़ी गई धारा वैचारिक स्वतंत्रता के अधिकार की राहों में बाधा

इंदौर। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अपार गुप्ता ने कहा है कि इंटरनेट के उपयोग की बढ़ती हुई आदत लोकतंत्र के लिए खतरा है आईटी एक्ट में भारत सरकार के द्वारा जोड़ी गई धारा संविधान में हमें मिले हुए वैचारिक स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकार की राह में बाधा पैदा करती है
गुप्ता आज यहां जाल सभागृह में अभ्यास मंडल के द्वारा आयोजित 61 वी ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे उनके व्याख्यान का विषय था इंटरनेट और डेमोक्रेसी उन्होंने कहा कि इंटरनेट अब हम सभी के जीवन में आ गया है इंटरनेट को ज्यादा समय नहीं हुआ है । अब से 10 वर्ष पूर्व हम वाईफाई को जानते नहीं थे और नेट कनेक्शन लेने के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता था । थोड़े से डाटा के हजारों रुपए चुकाना पडते थे । अब यह समय आ गया कि चिप्स के पैकेट के साथ 5gb का डाटा फ्री मिल जाता है । देश की राजधानी दिल्ली में एक व्यक्ति के पास दो नेट कनेक्शन है जबकि मोबाइल तो देश की आबादी में से 84% लोगों तक पहुंच गया है यदि दूसरे शब्दों में हम कहे कि इंटरनेट हमारी जिंदगी का एक हिस्सा बन गया है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी
उन्होंने कहा कि संविधान के द्वारा हमें अनुच्छेद 19 ( 1 ) के अंतर्गत अपने विचारों की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है । इंटरनेट पर होने वाले व्यापार को वैधानिक आधार देने के लिए सरकार के द्वारा वर्ष 2000 में आईटी एक्ट बनाया गया । इस एक्ट के बनने के 8 वर्ष बाद इसमें धारा 66 ए जोड़ी गई । यह धारा जोड़े जाने के बाद अलग-अलग मामले हुए । मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद सरकार के द्वारा आईटी एक्ट में संशोधन करने के लिए संसद में बिल प्रस्तुत किया गया । इस बिल को राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर बिना चर्चा के मंजूर कर लिया गया
गुप्ता ने कहा कि इस धारा में जो प्रावधान किए गए उनका परिणाम यह निकला कि अगस्त 2012 में महाराष्ट्र में जगदीश पाटील नामक व्यक्ति के द्वारा अपनी पड़ोस की लड़की को केक पर उसका चेहरा छाप कर उपहार उसके घर भेजा गया तो उसके खिलाफ इस धारा के अंतर्गत मुकदमा दर्ज हो गया दूसरी तरफ बाल ठाकरे के निधन पर महाराष्ट्र के एक महिला द्वारा की गई पोस्ट पर शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने इसी धारा में मुकदमा दर्ज करा दिया कोलकाता में एक प्रोफ़ेसर ने सत्यजीत रे की फिल्म का कार्टून ममता बनर्जी को भेजा तो वहां प्रोफेसर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया जिस समय अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन चल रहा था उस समय एक व्यक्ति ने कैबिनेट मंत्री के बेटे को भ्रष्ट कहा तो उस व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया दरअसल इस धारा को कब किस पर लागू करना है इसके लिए कोई पैमाना तय नहीं किया गया यही कारण है कि इस धारा को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में श्रेया सिंघल के द्वारा केस लगाया गया इस केस पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ढाई वर्ष तक विचार किया गया उसके बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा को अनुचित करार दिया । आपको यह जानकर आश्चर्य होगा जब सुप्रीम कोर्ट इस धारा को अनुचित बता देता है उसके बाद में 2015 में क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो अपनी रिपोर्ट में कहता है कि धारा के अंतर्गत 5000 मुकदमे दर्ज किए गए हैं । ब्यूरो की जानकारी पर जब सवाल उठाए जाते हैं तो फिर वह कह देता है कि यह जानकारी गलत थी
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में सोशल मीडिया से अधिकारों का विकेंद्रीकरण हो रहा है लोग इस मीडिया के माध्यम से पैसे बना रहे हैं , जो कि सही नहीं है बड़े-बड़े इंजीनियर और कंपनी इस बात में अपना दिमाग लगा रहे हैं कि कैसे व्यक्ति अपना ज्यादा से ज्यादा समय सोशल मीडिया पर लगाए जब आप सोशल मीडिया पर काम करते हैं तो आप जो कुछ सर्च करते हैं उससे संबंधित बीसियो विज्ञापन आपके पास पहुंच जाते हैं अतिथि का स्वागत मिर्जा बेग, अभिनव धनोडकर, राजेंद्र बिलोरे ने किया अतिथि को स्मृति चिन्ह वरिष्ठ अधिवक्ता बीएल बावेजा ने वेट किया । कार्यक्रम का संचालन शब्बीर हुसैन ने किया । अंत मे आभार प्रदर्शन अशोक बड़जात्या ने किया

आज का व्याख्यान

अभ्यास मंडल की 61 वी ग्रीष्मकालीन व्याख्यान माला में कल बुधवार 11 मई को जल संरक्षण में समुदाय की भागीदारी विषय पर चित्रकूट के जल विशेषज्ञ उमा शंकर पांडे संबोधित करेंगे ।

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